"द्वारका: भगवान कृष्ण की खोई हुई नगरी"- Dwarka: The Lost City of Lord Krishna"

Dwarka


 गुजरात के पश्चिमी तट पर स्थित द्वारका शहर अपने धार्मिक और पौराणिक महत्व के लिए विश्व भर में प्रसिद्ध है। यह वह स्थान है जिसे भगवान कृष्ण ने अपने राज्य की राजधानी के रूप में स्थापित करने के लिए चुना था और जहाँ उन्होंने अपने प्रारंभिक वर्ष बिताए थे। द्वारका की संस्कृति, पौराणिक कथाएँ और इतिहास मिलकर इसे एक अनोखा आकर्षक स्थान बनाते हैं।

1.द्वारका का इतिहास - History of Dwarka

संस्कृत शब्द "द्वार" (जिसका अर्थ है "द्वार" या "प्रवेश द्वार") से द्वारका का नाम पड़ा है। ऐसा कहा जाता है कि भगवान कृष्ण ने इसे एक अच्छी तरह से किलेबंद और उन्नत महानगर के रूप में स्थापित किया था। कहा जाता है की मथुरा छोड़ने के बाद, भगवान कृष्ण ने यादवों के लिए समुद्र के किनारे एक नया शहर द्वारका का निर्माण किया।

2. क्या हम द्वारका में पानी के नीचे जा सकते हैं? - Can We Visit Dwarka Underwater

हाँ, द्वारका में पानी के नीचे जा सकते हैं और इस प्राचीन नगरी के अवशेषों को देख सकते हैं।

द्वारका के पास समुद्र के नीचे भगवान कृष्ण की नगरी के कई महत्वपूर्ण पुरातात्विक अवशेष मौजूद हैं, जिन्हें स्कूबा डाइविंग के माध्यम से देखा जा सकता है।

गोताखोरी के लिए कई डाइविंग सेंटर और टूर ऑपरेटर्स मौजूद हैं, जो सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं। पानी के नीचे आप प्राचीन संरचनाओं, कलाकृतियों, और जीवंत समुद्री जीवन को देख सकते हैं। यह एक रोमांचक और अद्वितीय अनुभव है जो द्वारका की खोई हुई नगरी के रहस्यों को उजागर करता है।

Dwarkadish Temple

3..समुद्र में द्वारका कितनी गहरी है - How Deep Is Dwarka In Sea 

द्वारका समुद्र के नीचे लगभग 300 फीट (90 मीटर) की गहराई पर स्थित है। यह प्राचीन नगरी समुद्र के तल में डूबी हुई है, और पुरातात्विक खोजों से पता चला है कि इसके कई हिस्से इस गहराई पर पाए जाते हैं। यह गहराई गोताखोरी और अन्य समुद्री अन्वेषण के लिए चुनौतीपूर्ण है, लेकिन यह द्वारका के खोए हुए इतिहास की खोज के लिए महत्वपूर्ण है।

4. 300 फीट नीचे पनडुब्बी से द्वारका के दर्शन: शुरुआत की तारीख़ - Dwarka Darshan from submarine 300 feet below: Start date

हजारो साल पहले समुंद्र में डूबी चुकी श्री कृष्ण की द्वारका नगरी के अब दर्शन करना अब आसान हो जायेगा क्योकि गुजरात सरकार द्वारका के दर्शन के लिए अरब सागर में टूरिस्ट सबमरीन चलाने जा रही है। इस सबमरीन का वजन करीब 35 टन होगाऔर इसमें एक बार में ही 30 लोग बैठ सकेंगे। और इसमें दो बोटागोर और एक गाइड भी साथ रहेगा। गुजरात राज्य पर्यटन विभाग के प्रमुख हारीत शुक्ला के मुताबिक इस स्वदेशी सबमरीन का संचालन मजगाऊँ डॉकयाद करेगा इस सबमरीन की सेवा शरुवात लगभग 01/11 /2024 मतलब एक ऑक्टोबर, दीपावली तक शुरू हो जाएगी। 

Dwarkadish Photo


5.पौराणिक महत्व -  Mythological significance

महाभारत, हरिवंश पुराण और भागवत पुराण सभी में द्वारका का उल्लेख मिलता है। यह भगवान कृष्ण द्वारा द्वारकाधीश मंदिर के निर्माण का कथित स्थान है, जो कृष्ण भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण स्थल है। यह मंदिर अपने विशिष्ट डिजाइन के कारण हजारों भक्तों को आकर्षित करता है। इसके अलावा, द्वारका को सात पुरियों में से एक माना जाता है, जिन्हें मोक्ष प्राप्ति के लिए अत्यंत पवित्र माना जाता है।

6. पुरातात्विक खोजें - Archaeological discoveries

द्वारका के समुद्र तल के नीचे मिली पुरातात्विक खोजें शहर की भव्यता और प्राचीनता की पुष्टि करती हैं। यह तथ्य कि द्वारका एक परिष्कृत समुद्री वाणिज्य महानगर था, 1980 के दशक में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) और राष्ट्रीय समुद्र विज्ञान संस्थान द्वारा इस क्षेत्र में की गई कई महत्वपूर्ण खोजों से सत्यापित हुआ। इस शहर की संपदा और वास्तुकला की झलक पानी के नीचे खोजी गई इमारतों और कलाकृतियों में देखी जा सकती है।

7. द्वारका के प्रमुख स्थल - Important places in Dwarka

  • भगवान कृष्ण को समर्पित प्रमुख मंदिर, द्वारकाधीश मंदिर, अपने भव्य शिखरों और वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है।

  • गोमती घाट: पवित्र गोमती नदी के इस किनारे पर, भक्त अपने अपराधों का प्रायश्चित करने के लिए स्नान करते हैं।

  • रुक्मिणी देवी मंदिर: अपनी विशिष्ट कलाकृति के लिए जाना जाने वाला यह मंदिर भगवान कृष्ण की पत्नी रुक्मिणी का सम्मान करता है।

  • बेट द्वारका: द्वारका के नज़दीक स्थित यह द्वीप अपने प्रचुर समुद्री जीवन और आश्चर्यजनक दृश्यों के लिए प्रसिद्ध है।

  • सुदामा सेतु: भगवान कृष्ण के साथी सुदामा के नाम पर बना यह पुल गोमती नदी पर बना है।

8. द्वारका की आध्यात्मिक यात्रा - Spiritual Journey of Dwarka

द्वारका की यात्रा न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से, बल्कि सांस्कृतिक और ऐतिहासिक दृष्टिकोण से भी बहुत महत्वपूर्ण है। इस जगह का एक विशेष मूड है जो मंदिर की घंटियों की आवाज़ और लहरों की प्रतिध्वनि से और भी बढ़ जाता है। यह शहर हमें हमारे अतीत की शानदार कहानियों की याद दिलाता है और हमें हमारी सांस्कृतिक और पौराणिक विरासत से जोड़ता है।

उपसंहार :


द्वारका एक ऐसा स्थान है जहाँ आध्यात्मिकता, पौराणिक कथाएँ और इतिहास एक साथ मिलते हैं। यह शहर भगवान कृष्ण के जीवन से जुड़े कई रहस्यों और कहानियों को समेटे हुए हमारे समृद्ध इतिहास की झलक प्रदान करता है। अगर आप भारत के समृद्ध धार्मिक और सांस्कृतिक अतीत को समझना चाहते हैं तो द्वारका ज़रूर जाएँ। यह स्थान आपकी आत्मा और बुद्धि को ज्ञान और शांति से भर देगा।

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